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माँ

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तुम्हे आँधियों में सम्भाला है उसने, अपने भरोसे ही पाला है उसने, लुटा देगी सबकुछ, अदा क्या करोगे, "माँ " है वो साहब दया क्या करोगे। 🙏            -supriya singh

तब दर्द बहुत ही होता है

जब पर हों ,पर परवाज़ ना हो 
जब सुर हो ,पर साज़ ना हो ,
हो हिम्मत पर आगाज़ ना हो 
तब दर्द बहुत ही होता है। 


जब हुनर खड़ा हो साथ संग 
पर बढ़ना आगे लगे जंग ,
जब पीछे खींचे अपने ही 
तब दर्द बहुत  ही होता है। 


जब अँधियारे सा हो प्रभात 
हो पग -पग गिरना आम बात ,
हो, समझाना  खुद को मुश्किल 
तब दर्द बहुत ही होता है। 


जब जीवन हो एक बंदी सा 
और  कारागृह में  द्वार न हो,
हो सन्नाटा तन्हाई का 
तब दर्द बहुत ही होता है। 


न मिले उचित सम्मान कभी 
इन अरमानों को जान कभी ,
बेजान पड़े अरमानो को लेआगे बढ़ना होता है 
 तब दर्द बहुत ही होता है। 


                               ©सुप्रिया सिंह
                                     चित्र : गूगल साभार 


                                 
                                                                                                             


















Comments

Very well written Supriya ji first time enter ur blog ....and i feel very happy

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