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Showing posts from January, 2019

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माँ

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तुम्हे आँधियों में सम्भाला है उसने, अपने भरोसे ही पाला है उसने, लुटा देगी सबकुछ, अदा क्या करोगे, "माँ " है वो साहब दया क्या करोगे। 🙏            -supriya singh

No mixing

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She loves to live in her own space no interference, with all her grace, She doesn't belong to any rat race and loves to do everything, at her own pace They say her to mix with others,  she said no mixing, my own genuine ways.   ©® Supriya Singh

वो बचपन

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वो हँसता वो खिलखिलाता सा बचपन,बेबात ही मुस्कुराता वो  बचपन , वो ड़र -ड़र  के सीखने में,गिरता कभी लड़खड़ाता सा बचपन।  रेत के इग्लू बनाता वो बचपन, मोहल्ले में हुल्लड़ लगाता वो बचपन , हरदम ही अपनी चलाता वो बचपन,न मानो तो रूठ जाता वो बचपन।  बरसाती पानी के छींटे उड़ाता , कुछ मटमैला,कुछ भीगा-सा बचपन , माटी में खेले,और खाने को माटी, लोगों से नज़रें बचाता वो बचपन।   तितली पकड़ने कि कोशिश में ,वो उड़ता दौड़ लगाता-सा  बचपन, छुपम-छुपाई ,पकड़म-पकड़ाई मनमाने खेल खिलाता वो बचपन।   त्योहारों की मिठाई देख ललचाता,मिलने कीआस में चक्कर लगता वो बचपन , छत से पानी के रंगीन  गुब्बारे फोड़े,बचने को खुद झट से नीचे बैठ जाता वो बचपन।  छुप-छुप के चीज़ें चुराता कभी,पकड़े जाने पर गुमसुम सा डाँट खाता वो बचपन , आँखों से दो मोती गिरा कुछ ही देर में,सब भूल जाता वो मस्तमौला सा बचपन।  न माने किसी की वो ज़िद्दी सा बचपन ,अपनी ही  चलाए  वो पिद्दी सा बचपन , न रूठने ही दे नादानियों से अपनी ,निश्छल मनोभाव वाला वो बचपन।  व...

Mighty marriage

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How free are they! just talk about marriage all the way they don't have any concerns about  climate change or saving the earth all they can do,  just gossip about marriage worth.                                                           -Supriya Singh

Lively Life✨

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She wants to EXPERIENCE all the colors of LIFE whether it is dark as BLACK or bright as WHITE She needs her PAIN it gives her STRENGTH whatever they say she knows her WORTH She needs her GRIN to make those SMILE whatever the ODDS, they helped her to REACH that extra MILE She needs her STRUGGLES to make her STRONG doesn't matter if the world says her WRONG She wants her PEACE OF MIND whatever one does, her CHOICE is to be KIND She is ready to HUSTLE to be TOUGH to show the world that she is not BLUFF To LOVE HUMANITY and this whole AMAZING creation she needs her GRATITUDE to be grateful to the CREATOR It doesn't bother  if they are WITH or AGAINST her she has her OWN SELF when HARD TIMES are there Though life has its  regular CRESTS and TROUGHS she is LIVELY  no matter there are JOYS or WOES. ©Supriya Singh

तब दर्द बहुत ही होता है

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जब पर हों ,पर परवाज़ ना हो  जब सुर हो ,पर साज़ ना हो , हो हिम्मत पर आगाज़ ना हो  तब दर्द बहुत ही होता है।  जब हुनर खड़ा हो साथ संग  पर बढ़ना आगे लगे जंग , जब पीछे खींचे अपने ही  तब दर्द बहुत  ही होता है।  जब अँधियारे सा हो प्रभात  हो पग -पग गिरना आम बात , हो, समझाना  खुद को मुश्किल  तब दर्द बहुत ही होता है।  जब जीवन हो एक बंदी सा  और  कारागृह में  द्वार न हो, हो सन्नाटा तन्हाई का  तब दर्द बहुत ही होता है।  न मिले उचित सम्मान कभी  इन अरमानों को जान कभी , बेजान पड़े अरमानो को लेआगे बढ़ना होता है   तब दर्द बहुत ही होता है।                                 © सुप्रिया सिंह                                      चित्र : गूगल साभार        ...

वह मस्त बड़ा

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वह  दर्द , दर्द का गश्त बड़ा ,उस नशे में था वह  मस्त पड़ा  ना आगे ना पीछे कोई ,अपनी मस्ती में मस्त रहा।  जब जहाँ जी किया निकल दिया , ना पता उसे है परवाह क्या  जीवन के दिए आघातों ने , कर दिया उसे है सख़्त बड़ा।   अब राहों की दुश्वारियाँ  भी, लगती हैं उसको अपनी सी  कष्टों की इतनी मार सही, ये कष्ट ही उसका ईश हुआ।  वह  दर्द दुखों की कील चुभन , राहों की ठोकर और पतन   वह  जीर्ण -शीर्ण  जीवन उसका , है देने लगा आनंद बड़ा।  अब दुःख को ही सर्वस्व बना , अंतर्मन से सब भाव मिटा  अपने तन मन को वज्र बना , है संघर्षों की भेंट चढ़ा  है  जागृत मन , उन्नत मस्तक जो डिगा नहीं आघातों से , जीवन के झंझावातों से ,पाता है  खुद को प्रबल खड़ा।  वह  दर्द ,दर्द का गश्त बड़ा ,उस नशे में है वह  मस्त खड़ा।                                            ...

शिवाय

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हर हर  महादेव 🙏 अनाथों के नाथ दीनानाथ शम्भू  हे शिवम्   कृपा से तेरी जग में तर गए कई अधम  हर हर हर महादेव डम डम डमरू के स्वर  कर रहे प्रसार जग में जीवन का प्रतिक्षण  सत चित आनंद की त्रिवेणी है त्रिशूल में  उठ गई जीवन मरण से आके चरणों की धूल में  शूल अँधकार के जो जीवन में थे कभी  नाम मात्र से प्रभु के कण -कण बिखर गए  वो सार हैं ब्रह्माण्ड के उस सार के  हम  अंश हैं   विषधर शिवाय नीलकण्ठ रौद्राय शिव, शिव ही विध्वंस हैं  थाम्ह हाथ शिव का साथ अवगत हुई खुद से आज  मोह ये जगत का छोड़ मोक्ष पथ पे चल दी आज  शोक भय दुःख के सार हट  गए मन से परे  शंकर सहाय तो भयंकर भी क्या करे " नमः शिवाय "                                   ©सुप्रिया सिंह                                 ...